रांझा बना के छोड़ दिया तुने मुझे पर हीर की तलाश नहीं है मुझे
अगर फ़िक्र करती हो तुम मेरा तो ज़िक्र जरूर करोगे ये विश्वास है मेरा !
हर रात तन्हाई में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह तो कभी शाम को याद आता है,
जब सोचता हूँ कर लूँ दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम सामने नज़र आता है।
मैं लगता कौन हूँ तुम्हारा अपने महबूब से तुलना ना करना मेरी
उसने तो तेरा प्यार पाया है पर मेरा हक तो तुझ पर कुछ भी नहीं !
दुःख ये नही कि उसने बुरा समझा मुझे ,
पर गम केवल इस बात का है कि,
समझा उसने मुझे क्यों नहीं !
अगर मेरा जनाजा उठे तो हमसे मुँह फेर लेना,
क्योकि ये हाथ नही उठेगा,
मेरा तेरे आँसू पोछने के लिए !
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केवल वही रिश्ता उम्र भर चलता है जनाब ,जहाँ एक दूसरे को समझा जाता है,परखा नही जाता जनाब !